यह है उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के ग्राम बैरपुर (भाट) का यह विडियो आज भी दुनिया के बाकि देशो की तुलना में भारत के पीछे होने की तस्वीर बाया कर रहा है भारत के ५० साल स्वर्णिम दौर के बाद भी इस एरिया की यह बदहाली है की लोगो को यह तक नहीं पता है की सरकार द्वारा उन्हें क्या-क्या सुविधाए देने के लिए किस-किस तरह की योजनाये लागु की गई है . आज भी यहाँ सरकारी डीएम, एस. पि. तक नहीं आते देखने की यहाँ की क्या स्तिथि है. यहाँ तक की यहाँ के लोग यह भी नहीं जानते की यह सब किसकी गलती की सजा भोग रहे है. आज भी यह आदिवासी-ग्रामीण जंगलो में पशुवत जिंदगी जी रहे है, इन सब के इस हाल का कौन दोषी है ? , शायद कोई हां कहने को तैयार न हो, पर यह कोई झूट भी नहीं की सरकारी कर्मचरियों की निक्कमी कार्यवाही की सजा यहाँ की नै पीढ़ी झेल रही है किसे यह भी नहीं पता की वह भी एक इंसान है, जो शहरो में रहते है उन्ही की तरह. क्या इन्हें भी सरकार की दी हुई साडी सुविधाओ का लाभ नहीं मिलना चाहिए. मेरी आवाज अगर कोई सुन सकता है तो कृपया इनके लिए कुछ करने के लिए सुझाव डे मेरे इमेल पर. मुझे लगता है की कोई-न-कोई बुद्धिजीवी मुझे इनके लिए कुछ करने के लिए राय/सुझाव जरूर देगा ?
शक्ति आनंद के कमरे में कैद इन ग्रामीणों की बदहाली और प्यास की तस्वीर "क्या बात है"
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