जानिए, क्यों है शरीर के साथ परछाईं का संबंध?


हर इंसान, प्राणियों, वनस्पतियों या वस्तुओं आदि के साथ एक रोचक बात जुड़ी होती है। वह है – परछाई का प्रकट होना और लुप्त हो जाना। जिसे देख सकते हैं, किंतु पकड़ा नहीं जा सकता। विज्ञान की नजर से यह साधारण बात है, जो रोशनी के आने-जाने से घटती है। किंतु धर्मशास्त्रों के मुताबिक भी इसका संबंध सूर्य से ही जुड़ा एक प्रसंग है। जिसके चलते हर देह से छाया का संबंध जुड़ा। जानते हैं यह प्रसंग -
भविष्य पुराण के मुताबिक दक्ष प्रजापति ने अपनी पुत्री रुपा का विवाह सूर्यदेव से किया। उनकी यमुना और यम नाम की दो संतान हुई। किंतु सूर्य के तेज के कारण रूपा उनको देख नहीं पाती। साथ ही उसका शरीर भी जल कर काला पड़ गया। तब इससे बचने के लिए रुपा ने अपनी छाया से ही अपने ही समान स्त्री पैदा की और उसे अपने पति सूर्य के साथ रहने व यह भेद न खोलने का कहकर अपनी दोनों संतान को छोड़कर चली गई।
सूर्य देव और छाया से दो संतानें शनि और तपती ने जन्म लिया। किंतु छाया रूपा की संतानों से ज्यादा अपनी संतान को चाहती थी। इसी कारण विवाद के चलते यमुना और तपती एक-दूसरे के शाम से नदी बन गई। यही नही यम से विवाद होने पर यम ने छाया को पहचान लिया, तब छाया ने भी यम को जगत के प्राणियों के प्राण हरने के क्रूर कार्य करने और जमीन पर पैर रखने ही गलने का शाप दिया।
विवाद के दौरान जब सूर्यदेव वहां पहुंचे तो यम ने माता छाया के उपेक्षा और भेदभाव से भरे व्यवहार और श्राप देने की शिकायत की। साथ ही यह भेद भी खोल दिया कि वह उनकी असली मां नहीं बल्कि माता की छाया है।
सूर्यदेव ने सारी बात सुनकर यम को पैर गलने के श्राप से मुक्ति और ब्रह्मदेव द्वारा लोकपाल का पद प्राप्त होने का वर दिया। साथ ही बहन यमुना और तपती को क्रमश: गंगा और नर्मदा के समान पावन होने का वर दिया। किंतु छाया द्वेषपूर्ण व्यवहार के लिये यह मर्यादा नियत की वह अब से हर सांसारिक देह में स्थित रहेगी।
माना जाता है कि तब से ही हर देह के साथ छाया का संबंध है और सूर्यदेव की रोशनी या सूर्य रूप अग्रि से जुड़े हर स्त्रोत से निकली रोशनी के साथ छाया प्रकट होती है।

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